शाहिद हुसैन
नई दिल्ली। दिल्ली के किराड़ी के सुलेमान नगर में अखिल भारतीय आजाद एकता भाईचारा समिति के तत्तावधान में एक रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। जिसमें सभी धर्म-सम्प्रदाय के लोेगों ने शिरकत कर हिन्दुस्तान में अमन-चैन और भाईचारे के लिए दुआ की।
हिन्दु-मुस्लिम, सिख-ईसाई आपस में भाईचारे की अनोखी मिसाल देखने को मिली। आजाद एकता भाईचारा समिति की ओर से आयोजित अनोखी इफ्तार पार्टी में हिन्दु संत तुला राम शुक्ला, ईसाई समुदाय के पादरी फादर सोलोमन जार्ज, मुस्लिम समुदाय के मौलाना नसीमुल हक़ कासमी तथा हाफिज गुलाम सरवर ने लोगों को सम्बोधित किया।
मौलाना नसख्ीमुल हक कासमी ने कहा कि रोजा हमें भूख और भूखे की पहचान कराता है। इसलिए इस माह में मुसलमान जकात, सदका और फितरा निकालता है। ताकि गरीब आदमी को भी ईद का त्यौहार मनाने का मौका मिले। रोजा हमकों इंसानियत का भी पैगाम देता है।
फादर सोलोमन जार्ज ने कहा कि ईसाई सम्प्रदाय में भी चालीस दिन के रोजे होते है। प्रभु यीशु ने कहा कि तुम मेरे बन्दों का ध्यान रखों मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा। भूखा रहने का नाम फास्ट, व्रत, उपवास या रोजा नहीं होता है बल्कि रोजे का अर्थ होता है कि आपके किसी भी कृत्य से किसी मानव अर्थात इंसान का दिल न दुखे और इस माह में अपने गुनाहों का पश्चाताप (माफी) मांगनी चाहिए।
पंडित तुला राम शुक्ला ने अपने सम्बोधन में कहा कि व्रत रखने से इंसान की आन्तरिक शक्ति का श्रजन और मजबूत होता है। व्रत में हमको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने व्रत खोलते समय अच्छे फल और भोजन ग्रहण करते समय किसी गरीब का उसका हक तो नहीं मार रहे हैं।
आल इंडिया मुस्लिम यूनाटेड फ्रन्ट के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज गुलाम सरवर ने कहा कि जब तक हम लोग आपस में नहीं मिलेंगे जुलेंगे तब तक एक दूसरे के रीति रिवाज और उनकी खूबियों को नहीं जान पायेंगे। फलस्वरूप भ्रांतियों के चलते हम एक दूसरे मजहब की खामियां देखने लगते है। आज का कार्यक्रम हिन्दुस्तान में आपसी सौहार्द और भाईचारा को बढ़ावा देने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
मंच का संचालन हाफिज गुलाम सरवर ने किया और कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय आजाद एकता भाईचारा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष शब्बीर अहमद मंसूरी ने की।
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